भारत में ऑनलाइन गेमिंग-नई ऊचाइयों की ओर अग्रसर

भारत में ऑनलाइन गेमिंग: नई ऊचाइयों की ओर अग्रसर

ऑनलाइन गेमिंग में खिलाड़ी एक वर्चुअल दुनिया में सक्रिय रूप से शामिल होते हैं, जहां वे अपने खेल के परिणामों से भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं। रिसर्च के अनुसार, 64% वयस्क वीडियो गेम खेलते हैं, जिनमें 59% पुरुष होते हैं, और पुरुष औसतन महिलाओं से 19 मिनट अधिक खेलते हैं। यह दर्शाता है कि ऑनलाइन गेमिंग विशेष रूप से पुरुषों के बीच काफी लोकप्रिय है। भारत में, तेजी से बढ़ती युवा आबादी और सस्ते इंटरनेट की उपलब्धता ने इसे देश में मनोरंजन का एक प्रमुख साधन बना दिया है, जिससे डिजिटल इंडिया के विकास में भी योगदान मिल रहा है।

भारत में ऑनलाइन गेमिंग: तेजी से बढ़ती संभावना

भारत में ऑनलाइन गेमिंग तेजी से बढ़ रही है और इसमें विशाल आर्थिक संभावनाएं हैं। वित्त वर्ष 23 में, भारत में लगभग 42 करोड़ लोग ऑनलाइन गेम्स खेलते हैं, जो चीन के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर है, जहां 75 करोड़ गेमर्स हैं। वित्त वर्ष 28 तक, भारत में गेमर्स की संख्या बढ़कर 53.8 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है, जो सालाना 5% की वृद्धि को दर्शाता है।

वित्त वर्ष 23 में, कुल गेमर्स में से 25% ने गेम्स पर पैसे खर्च किए। यह प्रतिशत भविष्य में बढ़ने की उम्मीद है: वित्त वर्ष 24 में 28%, वित्त वर्ष 25 में 30%, वित्त वर्ष 26 में 32%, वित्त वर्ष 27 में 33%, और वित्त वर्ष 28 तक 34% तक पहुंच सकता है। यह वृद्धि टियर 2 और टियर 3 शहरों में गेमिंग की बढ़ती लोकप्रियता, इन-गेम आइटम्स की खरीदारी की आदत, और गेमिंग को एक प्रमुख जीवनशैली के रूप में अपनाने के कारण हो रही है।

भारत की युवा जनसंख्या इस क्षेत्र के तेजी से विस्तार के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है। हालांकि, केवल 30% लोग ही गेमर्स हैं, जबकि चीन और अमेरिका में यह आंकड़ा 53% से 56% तक है। इससे साफ है कि भारत में गेमिंग के क्षेत्र में बड़े स्तर पर वृद्धि की संभावनाएं हैं।

भारत का गेमिंग उद्योग देश के युवाओं को नई तकनीकी क्षमताओं से लैस करने के साथ-साथ भारतीय गेम्स और कंटेंट को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस तेजी से बढ़ते क्षेत्र में लाखों नए रोजगार के अवसर पैदा होने की संभावना है, जो देश की अर्थव्यवस्था को और भी मजबूत बना सकता है।

भारत की मोबाइल गेमिंग: प्रेरणादायक वृद्धि और उज्जवल भविष्य

भारत में ऑनलाइन गेमिंग तेजी से बढ़ रहा है, इसके पीछे मुख्य कारण हैं सस्ता इंटरनेट डेटा, मजबूत डिजिटल भुगतान प्रणाली, और मोबाइल गेमिंग की सरलता। मोबाइल गेमिंग को पर्सनल कंप्यूटर और कंसोल गेमिंग की तुलना में कम हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की जरूरत होती है, जिससे इसे खेलना बेहद आसान हो गया है। जबकि भारत में पर्सनल कंप्यूटर और कंसोल गेमर्स की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है, गेम डेवलपर्स अब मोबाइल गेमिंग पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। भारत की मोबाइल गेमिंग की लोकप्रियता और युवा जनसंख्या इसे अमेरिका और चीन से अलग बनाती है, जहां लोग अधिकतर पर्सनल कंप्यूटर और कंसोल पर गेम खेलते हैं।

भारत की बढ़ती मोबाइल गेमिंग संस्कृति न केवल घरेलू गेमिंग उद्योग को बढ़ावा दे सकती है, बल्कि यह भारत को वैश्विक गेमिंग हब के रूप में स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी प्रदान कर सकती है। यह उभरता हुआ क्षेत्र भारतीय गेम्स और कंटेंट को अंतरराष्ट्रीय मंच पर नई पहचान दिलाने की क्षमता रखता है।

भारत का ऑनलाइन गेमिंग बाजार: भविष्य की वृद्धि और आर्थिक संभावना की नई ऊँचाइयाँ

वित्त वर्ष 23 में भारत का ऑनलाइन गेमिंग बाजार 16,428 करोड़ रुपये का था और यह वित्त वर्ष 28 तक 33,243 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है, जो 15% की सालाना वृद्धि दर को दर्शाता है। भारत की कुल जनसंख्या 144 करोड़ है, जिनमें 65% लोग 35 साल से कम उम्र के हैं। वित्त वर्ष 23 में, देश में 78 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता थे, 1,400 से अधिक ऑनलाइन गेमिंग स्टार्ट-अप्स सक्रिय थे, और 54.8 करोड़ स्मार्टफोन उपयोगकर्ता थे। इस दौरान, गेमिंग ऐप्स को 430 करोड़ बार डाउनलोड किया गया। हर सक्रिय गेमर औसतन 10-12 घंटे प्रति सप्ताह खेलता है और इस क्षेत्र में लगभग 15,000 गेम डेवलपर्स और प्रोग्रामर्स काम कर रहे हैं।

रियल मनी गेमिंग (आरएमजी) ऑनलाइन गेमिंग बाजार का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका वित्त वर्ष 23 में आकार 13,596 करोड़ रुपये था, जो कुल ऑनलाइन गेमिंग का लगभग 83% है और इसमें 400 से अधिक आरएमजी स्टार्ट-अप्स शामिल हैं।

भारत का यह उभरता हुआ गेमिंग बाजार न केवल मौजूदा खिलाड़ियों के अनुभव को समृद्ध करेगा बल्कि देश के डिजिटल और तकनीकी कौशल को भी नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा। आने वाले वर्षों में, इस क्षेत्र के तेजी से विकास से न केवल आर्थिक लाभ होगा बल्कि भारत को वैश्विक गेमिंग मानचित्र पर एक प्रमुख स्थान भी मिल सकता है।

ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र: निवेश और रोजगार का नई ऊँचाइयों की ओर सफर

यह क्षेत्र वित्त वर्ष 20 से वित्त वर्ष 24 के बीच कुल 22,931 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त कर चुका है, जो घरेलू और विदेशी स्रोतों से आया है। वर्तमान में, यह क्षेत्र लगभग एक लाख लोगों को रोजगार देता है और 2025 तक इसमें 2.5 लाख नई नौकरियों के अवसर उत्पन्न होने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 24 से वित्त वर्ष 28 तक, इस क्षेत्र से टीडीएस और कॉर्पोरेट टैक्स के रूप में लगभग 6,500 से 6,800 करोड़ रुपये और जीएसटी के रूप में 75,000 से 76,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है।

इस तेजी से बढ़ते क्षेत्र में निवेश और रोजगार के अवसर भारत की अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाइयों पर ले जाने की संभावना दिखाते हैं। भविष्य में इस क्षेत्र से होने वाले लाभ और विकास न केवल नई नौकरियों की सृजन करेंगे, बल्कि भारत को एक वैश्विक डिजिटल हब के रूप में स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

भारत का गेमिंग बाजार: वैश्विक नेतृत्व की ओर तेजी से बढ़ता

भारत में गेमिंग उद्योग की सालाना वृद्धि दर वित्त वर्ष 20-23 के बीच 28% रही, जो अमेरिका (9%), चीन (7%), जापान (7%), दक्षिण कोरिया (5%), और जर्मनी (2%) से कहीं अधिक है। वित्त वर्ष 23 में भारत का गेमिंग बाजार 16,428 करोड़ रुपये का था। इसके मुकाबले, अमेरिका का बाजार 3,63,600 करोड़ रुपये, चीन का 3,70,064 करोड़ रुपये, जापान का 1,61,600 करोड़ रुपये, दक्षिण कोरिया का 63,832 करोड़ रुपये, और जर्मनी का 53,328 करोड़ रुपये था। भारत का गेमिंग बाजार वित्त वर्ष 23 में वैश्विक कुल का 1.1% था। तुलना करें तो, चीन का बाजार वैश्विक कुल का 25%, अमेरिका का 24%, जापान का 11%, दक्षिण कोरिया का 4.3%, और जर्मनी का 3.6% था। वित्त वर्ष 23 में भारत में 42.5 करोड़ गेमर्स थे, जो चीन (75 करोड़) के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर है। इनमें से 94% लोग मोबाइल पर गेमिंग करते हैं, जबकि अमेरिका में 37%, चीन में 62%, जापान में 48%, दक्षिण कोरिया में 36%, और जर्मनी में 43% लोग मोबाइल गेमिंग करते हैं।

भारत की तेज़ी से बढ़ती गेमिंग वृद्धि दर और मोबाइल गेमिंग की अपार लोकप्रियता देश को एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी के रूप में उभारने की दिशा में एक मजबूत संभावना प्रस्तुत करती है। भारत की युवा जनसंख्या और तकनीकी नवाचार इस क्षेत्र को वैश्विक मानचित्र पर प्रमुख स्थान दिला सकते हैं, जिससे भविष्य में भारत की गेमिंग इंडस्ट्री को नई ऊंचाइयों तक पहुंचने की संभावना है।

भारत में गेमिंग स्टार्टअप्स

पिछले चार वर्षों में भारत में गेमिंग स्टार्टअप्स की संख्या तेजी से बढ़ी है, जिसमें तीन कंपनियां (गेम्स 24×7, एमपीएल, और ड्रीम11) यूनिकॉर्न बन गई हैं, छह ने बड़े सौदे किए हैं, और एक ने सफलतापूर्वक आईपीओ लॉन्च किया है। यह सफलता सरकार की स्टार्टअप इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी पहलों के साथ मेल खाती है, जो नए विचारों और स्टार्टअप कल्चर को बढ़ावा देती हैं। हालांकि, वित्त वर्ष 22 में ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को 12,740 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली थी, जो वित्त वर्ष 24 में घटकर 835 करोड़ रुपये रह गई है। यह कमी बढ़ती ब्याज दरों, महंगाई, और टैक्स में बदलाव के कारण हुई है। फिर भी, भारतीय ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र को वित्त वर्ष 24 से 28 तक हर साल 13% की दर से बढ़ने की उम्मीद है, जो इस क्षेत्र के तेजी से विकास और भविष्य में बड़े राजस्व और निवेश के अवसरों को दर्शाता है।

आरएमजी सेक्टर: राजस्व की नई ऊँचाइयों की ओर और भारत की आर्थिक ताकत

वित्त वर्ष 23 में रियल मनी गेमिंग (आरएमजी) क्षेत्र से जीएसटी के रूप में 1,700 करोड़ रुपये मिले। नए जीएसटी नियमों के मुताबिक, अगले 5 वर्षों (वित्त वर्ष 24 से 28) में जीएसटी की वसूली सालाना 113% बढ़कर 75,000 से 76,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। इसके अलावा, इस दौरान 6,500 से 6,800 करोड़ रुपये का टीडीएस और कॉर्पोरेट टैक्स भी प्राप्त होगा। ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र ने तकनीकी कंपनियों, विज्ञापन एजेंसियों, और अन्य साझेदारों के साथ मिलकर सरकार के लिए अतिरिक्त राजस्व भी बढ़ाया है।

यह सकारात्मक प्रवृत्ति न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करती है, बल्कि ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र की निरंतर वृद्धि और विकास के संकेत भी प्रदान करती है। इस वृद्धि के चलते, गेमिंग कंपनियाँ सरकार को अतिरिक्त राजस्व प्रदान कर रही हैं, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में निवेश और प्रगति की नई संभावनाएँ खुल रही हैं। यह भारत को एक प्रमुख वैश्विक गेमिंग हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

भारत की डिजिटल गेमिंग ताकत

ऑनलाइन गेमिंग भारत को एक डिजिटल और तकनीकी रूप से उन्नत देश के रूप में दिखाता है। वित्त वर्ष 23 में, गेमिंग में यूपीआई के जरिए 8,370 करोड़ रुपये के लेन-देन हुए। इसी दौरान, भारत में 430 करोड़ मोबाइल गेम्स डाउनलोड हुए, जो दुनिया भर के कुल डाउनलोड का लगभग 15% है। भारत में गेमिंग इन्फ्लुएंसर्स की संख्या भी बढ़ रही है, और शीर्ष 10 यूट्यूब चैनलों के पास 12 करोड़ से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं। ये सभी आंकड़े भारत की डिजिटल ताकत को उजागर करते हैं।

नई ऑनलाइन गेमिंग नियम

पिछले 2 वर्षों में, भारतीय सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग को सुरक्षित और भरोसेमंद बनाने के लिए नए नियम लागू किए हैं। ये नियम गेमिंग को सट्टेबाजी और जुए से अलग करते हैं, जिससे गेमर्स की सुरक्षा सुनिश्चित होती है। साथ ही, टैक्स व्यवस्था को भी साफ किया गया है। आईटी मंत्रालय ने एक स्पष्ट ढांचा तैयार किया है, जिसमें कहा गया है कि केवल वही गेम मान्य होगा जिसमें किसी भी परिणाम पर दांव नहीं लगाया जाता। नए नियम गेमिंग कंपनियों की जिम्मेदारियों को भी स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं।

नए टैक्स नियम और ‘एवीजीसी’ योजनाएं

अब तक, ₹10,000 से कम की जीत पर टैक्स नहीं लगता था, लेकिन नए नियमों के अनुसार, अब टैक्स जीत की पूरी राशि पर लगेगा। यह टैक्स साल के अंत में या पैसे निकालते समय कटेगा। ऑनलाइन गेमिंग पर जीएसटी की दर भी बढ़ाकर 28% कर दी गई है और यह पूरी राशि पर लागू होगी।

इसके अलावा, एवीजीसी (आनिमेशन, विज़ुअल इफेक्ट्स, गेमिंग, और कॉमिक्स) उद्योग के विकास के लिए एक टास्क फोर्स बनाई गई है। इस टास्क फोर्स ने दिसंबर 2022 में एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें भारत में बेहतरीन उत्पाद बनाने, युवाओं को नई तकनीकों में प्रशिक्षित करने, और उद्योग को बढ़ावा देने के उपायों पर ध्यान देने की बात की गई है।

आरएमजी और नॉन-आरएमजी व ई-स्पोर्ट्स का भारतीय गेमिंग बाजार में भविष्य

टैक्स नियमों के बावजूद, रियल मनी गेमिंग (आरएमजी) भारत के ऑनलाइन गेमिंग बाजार का एक बड़ा हिस्सा बना हुआ है। वित्त वर्ष 23 में, भारत का गेमिंग बाजार ₹16,428 करोड़ था, जिसमें आरएमजी का हिस्सा ₹13,596 करोड़ और नॉन-आरएमजी और ई-स्पोर्ट्स का हिस्सा ₹2,832 करोड़ था।

वित्त वर्ष 24 के अंत तक, बाजार ₹19,974 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है, जिसमें आरएमजी का हिस्सा ₹16,520 करोड़ और नॉन-आरएमजी व ई-स्पोर्ट्स का ₹3,455 करोड़ होगा। अगले कुछ वर्षों में, आरएमजी का हिस्सा बढ़ेगा, लेकिन इसकी कुल बाजार हिस्सेदारी कम हो सकता है। वित्त वर्ष 25 में आरएमजी का हिस्सा ₹18,171 करोड़ और नॉन-आरएमजी व ई-स्पोर्ट्स का ₹4,249 करोड़ हो सकता है। वित्त वर्ष 26 में, आरएमजी का हिस्सा ₹20,170 करोड़ और नॉन-आरएमजी व ई-स्पोर्ट्स का ₹5,269 करोड़ हो सकता है।

वित्त वर्ष 27 में, आरएमजी का हिस्सा ₹22,389 करोड़ और नॉन-आरएमजी व ई-स्पोर्ट्स का ₹6,534 करोड़ हो सकता है। वित्त वर्ष 28 में, आरएमजी का हिस्सा ₹25,076 करोड़ और नॉन-आरएमजी व ई-स्पोर्ट्स का ₹8,167 करोड़ हो सकता है, जिससे कुल बाजार ₹33,243 करोड़ तक पहुंच जाएगा।

वित्त वर्ष 23 में आरएमजी की बाजार हिस्सेदारी 83% थी, जो वित्त वर्ष 28 तक घटकर 75% होने का अनुमान है, जबकि नॉन-आरएमजी और ई-स्पोर्ट्स की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 23 में 17% से बढ़कर वित्त वर्ष 28 में 25% होने की उम्मीद है।

वित्त वर्ष 23 से वित्त वर्ष 28 तक नॉन-आरएमजी और ई-स्पोर्ट्स में वृद्धि

वित्त वर्ष 23 से वित्त वर्ष 28 तक, नॉन-आरएमजी (रियल मनी गेमिंग) और ई-स्पोर्ट्स के क्षेत्र में 24% की वृद्धि की उम्मीद है। इस दौरान:

  • कैज़ुअल और हाइपर-कैज़ुअल गेम्स: ये सरल और जल्दी खेले जाने वाले गेम्स हैं। वित्त वर्ष 23 में इनका राजस्व कुल का 60%-65% था, लेकिन वित्त वर्ष 28 तक यह घटकर 40%-45% हो सकता है।
  • मिडकोर गेम्स: ये गेम्स थोड़ा जटिल और उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं। वित्त वर्ष 23 में इनका राजस्व कुल का 35%-40% था, जो वित्त वर्ष 28 तक बढ़कर 50%-55% हो सकता है।
  • ई-स्पोर्ट्स और अन्य: ई-स्पोर्ट्स में प्रतियोगी खेल होते हैं। वित्त वर्ष 23 में इसका राजस्व कुल का 1%-4% था, जो वित्त वर्ष 28 तक बढ़कर 2%-5% हो सकता है।

गेमिंग विज्ञापन का प्रभाव बढ़ रहा है। कंपनियां अब इसमें ज्यादा पैसा खर्च कर रही हैं। मोबाइल गेमिंग विज्ञापन 2023 से 2028 तक हर साल 25% बढ़ेगा। इन-गेम विज्ञापन जैसे इनाम वाले और पर्सनलाइज्ड वीडियो विज्ञापन गेमर्स को बहुत पसंद आ रहे हैं और इन्हें 90% तक पूरी तरह देखा जाता है।

भारत में नए ऑनलाइन गेमिंग नियम

अप्रैल 2023 में, भारत सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग के लिए नए नियम बनाए हैं ताकि स्किल्स पर आधारित खेलों को ठीक से नियंत्रित किया जा सके। पहले, इस क्षेत्र को नियमों की कमी की वजह से समस्याएं आ रही थीं। जुए और सट्टेबाजी पर रोक है, लेकिन स्किल्स पर आधारित खेलों को छूट दी गई है। हर राज्य सट्टेबाजी पर अपने नियम बना सकता है, जिससे नियम अलग-अलग हो सकते हैं। अदालतों ने स्किल्स पर आधारित खेलों को कानूनी मान लिया है, और कुछ राज्यों के प्रतिबंधों को हटा दिया है।

नई व्यवस्था के तहत, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 6 अप्रैल 2023 को नए नियम लागू किए हैं। एक विशेष समिति यह तय करेगी कि कौन से गेम्स वैध हैं। गेम को मान्यता देने के लिए उसमें किसी परिणाम पर पैसे लगाना शामिल नहीं होना चाहिए और इसे समिति के नियमों का पालन करना होगा, जो सुरक्षा और वित्तीय जोखिम से संबंधित हैं।


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