लाइफ स्किल्स 2.0:
2019 में, तत्कालीन भारतीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ‘जीवन कौशल (लाइफ स्किल्स) योजना’ की शुरुआत की और यूजीसी ने पहला ‘लाइफ स्किल्स कोर्स’ तैयार किया, छात्रों को सच्ची क्षमताओं की खोज में मदद करके उन्हें सामाजिक दायित्वपूर्ण नागरिक बनाने का उद्देश्य था। लाइफ स्किल्स वो कौशल हैं जो हम सभी अपने दैनिक जीवन में सीखते हैं। 2020 में भारत में आई नई शिक्षा नीति (एनईपी) ने ‘लाइफ स्किल्स’ को ‘छात्र सम्पूर्ण विकास’ के लिए महत्वपूर्ण घोषित किया, और यूजीसी ने इसे ‘जीवन कौशल 2.0’ के नाम से नए सिलेबस के साथ अपडेट किया।
लाइफ स्किल्स कोर्स तीन मुख्य श्रेणियों: | कौशल: |
सामाजिक या व्यक्तिगत स्किल्स | सही ढंग से बातचीत करना, सहयोग करना, नेतृत्व करना, समय प्रबंधन करना, आत्म-विश्वास बढ़ाना |
सही दिशा में सोचने का स्किल्स | समस्या का सही समाधान करना, रचनात्मक सोचना, निर्णय लेना, वित्तीय प्रबंधन करना |
भावनाओं को सही तरीके से समझने का स्किल्स | तनाव और भावनाओं का प्रबंधन करना, दोस्तों के दबाव (पीर प्रेशर) का सामना करना, आत्म-जागरूकता बढ़ाना |
लाइफ स्किल्स 2.0 कोर्स, अपडेटेड सिलेबस के साथ: 4 विषय, 25 मॉड्यूल, 120 घंटे, 8 क्रेडिट कुल!
विषय का नाम/ अवधि/
क्रेडिट/ कुल मॉड्यूल की संख्या |
मॉड्यूल का नाम/
मुख्य बाते? |
कम्युनिकेशन स्किल्स/
30 घंटे/ 2 क्रेडिट/ 7 मॉड्यूल |
सुनना, बोलना, पढ़ना, लेखन, डिजिटल साक्षरता, डिजिटल नैतिकता और साइबर सुरक्षा, और गैर-भाषिक संवाद /
7 मॉड्यूल मे कुल 29 टॉपिक्स है / इम्पोर्टेन्ट टॉपिक्स निम्नलिखित है: उच्चारण, शब्दावली, प्रभावी लेखन रणनीतियाँ, मशीन लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता), इंटरनेट ऑफ थिंग्स, डिजिटल मार्केटिंग, साइबर सुरक्षा, सोशल मीडिया, आदि। |
प्रोफेशनल स्किल्स/
30 (15+15) घंटे/ 2 क्रेडिट/ 11(4+7) मॉड्यूल |
कैरियर-स्किल्स: 15 घंटे / 4 मॉड्यूल निम्नलिखित: करिकुलम विटी (कोर्स-ऑफ-लाइफ) बनाना, नौकरी के लिए इंटरव्यू देना, ग्रुप-डिस्कशन करना, और कैरियर के अवसरों की खोज करना/
टीम-स्किल्स: 15 घंटे / 7 मॉड्यूल निम्नलिखित: प्रेजेंटेशन देना, एक टीम के रूप में काम और सहयोग करना, एक टीम के रूप में एक-दूसरे की बातों को ध्यान से सुनना और समझना, ब्रैनस्टोर्मिंग, सामाजिक और सांस्कृतिक शिष्टाचार, इंटरनल कम्युनिकेशन, और कॉग्निटिव और नॉन कॉग्निटिव (सॉफ्ट) स्किल्स। |
लीडरशिप और मैनेजमेंट स्किल्स/
30 घंटे/ 2 क्रेडिट/ 6 मॉड्यूल |
6 मॉड्यूल निम्नलिखित: नेतृत्व कौशल, प्रबंधकीय कौशल, उद्यमी कौशल, अभिनव नेतृत्व और डिजाइन सोच, नैतिकता और अखंडता, व्यक्तिगत वित्त प्रबंधन। |
यूनिवर्सल ह्यूमन वैल्यूज /
30 घंटे/ 2 क्रेडिट/ 1 मॉड्यूल |
इस एक मॉड्यूल के 8 टॉपिक्स निम्नलिखित: प्रेम और करुणा, सत्य, अहिंसा, धर्म, शांति, सेवा, त्याग, और संवैधानिक मूल्य। |
नए मॉड्यूल: अपडेटेड लाइफ स्किल्स कोर्स!
7 नए मॉड्यूल का नाम: | निम्नलिखित महत्व: |
डिजिटल साक्षरता और सोशल मीडिया | सूचना तक पहुंचें, मूल्यांकन करें, और संसाधित करना। दूसरों से जुड़ना और संवाद करना |
डिजिटल नैतिकता और साइबर सुरक्षा | ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित करना, ऑनलाइन व्यवहार में जिम्मेदारी और सम्मान को बढ़ावा देना |
मौखिक और गैर-मौखिक संचार | प्रभावी संचार और दूसरों को बेहतर ढंग से समझने के लिए आवश्यक |
संज्ञानात्मक और गैर-संज्ञानात्मक स्किल्स | रचनात्मक सोच, समस्या-समाधान, निर्णय लेने, प्रेरणा, आत्म-विनियमन और संघर्ष प्रबंधन |
व्यक्तिगत वित्त प्रबंधन | पैसों का प्रबंधन और वित्तीय निर्णय |
संवैधानिक मूल्य | एक सभ्य समाज के लिए आवश्यक |
न्याय और मानवाधिकार | सभी मनुष्यों की गरिमा और सम्मान की रक्षा के लिए उपयोगी ज्ञान |
आपको जानना चाहिए!
बिंदु | विवरण |
मुख्य उद्देश्य | छात्रों को व्यक्तिगत, सामाजिक और व्यावसायिक जीवन को एक साथ संभालने के लिए आवश्यक स्किल्स प्रदान करना |
क्रेडिट | प्रत्येक कोर्स 2 क्रेडिट का, 4 कोर्स के लिए कुल 8 क्रेडिट |
दर्जा | मौलिक कोर्स के समान |
पेश किए जाने के तरीके | सभी विषयों में पेश किए जाएंगे |
क्रेडिट आवश्यकता | प्रत्येक कोर्स के लिए 2 क्रेडिट |
पाठ्यक्रम लेने का तरीका | अलग-अलग सेमेस्टर में, या दो के समूहों में |
अवधि में अनुमत क्रेडिट | एक अवधि में एक स्टूडेंट अधिकतम 4 लाइफ स्किल्स कोर्स क्रेडिट प्राप्त कर सकता है |
एक समय में अनुमत कोर्स | एक स्टूडेंट एक समय में केवल दो ही लाइफ स्किल्स कोर्स ले सकता है |
सीखने का तरीका | ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से |
लाइफ स्किल्स कोर्स 2.0 के संभावित दीर्घकालिक प्रभावों पर प्रकाश!
(1) भारत सरकार, शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी, आल इंडिया सर्वे ऑफ़ हायर एजुकेशन (एआईएसएचई) 2020-21 रिपोर्ट के अनुसार, भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्र नामांकन 2020-21 में 4,13,80,713 (4 करोड़ 13 लाख 80 हजार 713) था, जो 2016-17 में 3,57,05,905 (3 करोड़ 57 लाख 5 हजार 905) से 16.4% अधिक है। भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों में कुल 4,13,80,713 छात्रों में से 3.26 करोड़ छात्र स्नातक स्तर पर नामांकित हैं, जो कुल नामांकन का 78.9% है।
रेगुलर एजुकेशन मोड में अंडर-ग्रेजुएट लेवल पर इम्पोर्टेन्ट प्रोग्राम्स में एनरोलमेंट |
||||
प्रोग्राम नाम | 2019-20 | 2020-21 | डिफरेंस/
ग्रोथ परसेंटेज |
2023 में भारत में स्नातकों की नौकरी की तलाश में सफल होने की संभावना! |
बैचलर ऑफ़ आर्ट्स | 7764666 | 8535174 | 770508/9.9% | 49.2% |
बैचलर ऑफ़ साइंस | 4455380 | 4727748 | 272368/6.11% | 37.69% |
बैचलर ऑफ़ कॉमर्स | 3666311 | 3791109 | 124798/3.40% | 60.62% |
बैचलर ऑफ़ टेक्नोलॉजी/इंजीनियरिंग | 3644045 | 3663685 | 19640/0.53% | 57.44% |
बैचलर ऑफ़ फार्मेसी | 293822 | 374695 | 80873/27.52% | 57.51% |
सोर्स: इंडिया स्किल रिपोर्ट 2023; स्टैटिस्टा, जुलाई 10, 2023
2023 में भारत में बी.ए. के छात्रों की रोज़गार योग्यता दर 49.2% है, जिसका मतलब है कि केवल 49.2% छात्रों को स्नातक करने के बाद नौकरी मिल सकती है। बाकी 50.8% छात्र या तो बेरोजगार हो सकते हैं या फिर घर पर ही कुछ छोटे काम कर रहे हो सकते हैं। लाइफ स्किल्स 2.0 को बी.ए. के सिलेबस में जोड़ने से रोजगार योग्यता बढ़ सकती है। इसमें छात्रों को महत्वपूर्ण चीजें सिखाई जाएगी, जैसे कि कम्युनिकेशन, प्रॉब्लम-सॉल्विंग, टीम-वर्क, और क्रिटिकल-थिंकिंग।इन सभी स्किल्स का भारत के सभी उद्योगों में काफी जरूरत हैं, इसलिए लाइफ स्किल्स 2.0 का इस दिशा में मदद कर सकता है। यह सकारात्मक प्रभाव बी.एससी., बी.कॉम., बी.टेक., और बी.फार्मा. कोर्सों पर भी हो सकता है।
(2) भारत में स्नातक छात्रों के लिए बेरोजगारी एक प्रमुख समस्या है। इसका कारण यह है कि उनके पास नौकरी के लिए आवश्यक कौशल नहीं होते हैं। इंडिया ग्रेजुएट स्किल इंडेक्स 2023 के रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय नौकरी बाजार में, हर 100 स्नातकों में से केवल 45 स्नातक ही नौकरी के लिए योग्य होते हैं। इसका मतलब है कि 55% स्नातकों में नौकरी के लिए आवश्यक कौशल और अनुभव नहीं है। भारत में लाइफ स्किल्स 2.0 कोर्स को ध्यानपूर्वक लागू करने से इस समस्या के समाधान में ऐसे मदद मिल सकती है:
लाइफ स्किल 2.0 में कुछ इम्पोर्टेन्ट स्किल्स: | 2023 में इन स्किल्स के साथ भारत में स्नातकों की नौकरी मिलने की संभावना: | छात्र बन सकेगा : |
एमएस-ऑफिस | 61% | डाटा एंट्री ऑपरेटर, रिसेप्शनिस्ट, प्रशासनिक सहायक, ग्राहक सेवा प्रतिनिधि, बिक्री प्रतिनिधि, आदि। |
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग | 48% | आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंजीनियर, मशीन लर्निंग इंजीनियर, डेटा साइंटिस्ट,
रिसर्च साइंटिस्ट, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, सॉल्यूशन आर्किटेक्ट, प्रोडक्ट मैनेजर, बिजनेस एनालिस्ट, कंसल्टेंट, आदि। |
क्रिटिकल थिंकिंग | 54% | सॉफ्टवेयर इंजीनियर, डेटा साइंटिस्ट, रिसर्च साइंटिस्ट
बिजनेस एनालिस्ट, कंसल्टेंट प्रोजेक्ट मैनेजर, मार्केटिंग मैनेजर, सेल्स मैनेजर, प्रोडक्ट मैनेजर, आदि। |
इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) | 43% | आईओटी सपोर्ट स्पेशलिस्ट, आईओटी एप्लीकेशन डेवलपर, आईओटी डाटा एनालिस्ट, आईओटी टेक्निशन, आईओटी सेल्स रिप्रेजेन्टेटिव, आईओटी प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर, आदि। |
डिजिटल लिटरेसी एंड सोशल मीडिया | बेसिक डिजिटल स्किल्स लिटरेसी: लगभग 42%।
एडवांस डिजिटल स्किल्स: लगभग 62%। प्रोफेशनल डिजिटल स्किल्स: लगभग 68%। सोशल मीडिया स्किल्स बूस्ट एम्प्लॉयबिलिटी: 5-7%। |
डिजिटल मार्केटिंग विशेषज्ञ,
सोशल मीडिया मैनेजर, कंटेंट क्रिएटर, डेटा एनालिस्ट, वेब डेवलपर, ग्राफिक डिजाइनर, वीडियो एडिटर, कॉपीराइटर, कॉपी एडिटर, प्रूफरीडर, आदि। |
डिजिटल एथिक्स एंड साइबर सिक्योरिटी | लगभग 50% नौकरी के विज्ञापनों में इन क्षेत्रों में कुछ विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। | डिजिटल एथिक्स सलाहकार, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ, डेटा सुरक्षा विशेषज्ञ, नेटवर्क सुरक्षा विशेषज्ञ, सूचना सुरक्षा विशेषज्ञ, आदि। |
इम्पोर्टेन्ट नोट्स:
- 2025 तक, नेशनल स्किल्स नेटवर्क के अनुसार, भारत में 50 करोड़ इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) उपकरण इंटरनेट से जुड़ सकते हैं, और डाटाक्वेस्ट के अनुसार, हर साल भारतीय आईओटी बाजार में 17% की दर से वृद्धि की उम्मीद है। इससे यह स्पष्ट होता है कि आगामी 5-7 सालों में भारतीय आईओटी बाजार में सुयोग बढ़ेगा, जिससे नौकरियों के नए अवसर उपस्थित होंगे।
- भारत में डिजिटल मार्केटिंग बाजार 2025 तक 160 अरब डॉलर (लगभग 12.8 लाख करोड़ रुपये) का मूल्यांकन तक पहुंचने का अनुमान है। इसका मतलब यह है कि भारत में डिजिटल मार्केटिंग का क्षेत्र बहुत तेजी से बढ़ रहा है और 2025 तक यह बहुत बड़ा क्षेत्र बन जाएगा।
- इंडिया स्किल्स रिपोर्ट 2023 के अनुसार, 2030 में रोजगार के लिए निम्नलिखित स्किल की आवश्यक होगी: डिजिटल साक्षरता, डेटा साक्षरता, क्रिटिकल थिंकिंग, इमोशनल इंटेलिजेंस, और क्रिएटिविटी।
(3) नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति और लाइफ स्किल 2 के कारण, कॉलेजों में पाठ्यक्रमों में बदलाव हो रहे हैं, इस कारण, निकट भविष्य में प्रतियोगी परीक्षाओं के सिलेबस में भी बदलाव हो सकता है।
(4) भारत में, कई कंपनियों में सेल्स, मार्केटिंग, बीपीओ, आईटीईएस, प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में ज्यादातर पदों पर इंजीनियरिंग या प्रबंधन की डिग्री वाले लोग होते हैं। अब जब सामान्य स्नातक छात्र भी इन क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, तो यह स्थिति बदलने का अच्छा मौका है। यह समाचार सामान्य स्नातक छात्रों के लिए अच्छा है क्योंकि इससे उन्हें इन क्षेत्रों में नौकरी पाने के अधिक अवसर मिलेंगे।
(5) लाइफ स्किल्स कोर्स भारतीय छात्रों के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे उन्हें अन्य देशों के छात्रों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद करते हैं। भारत में कई कुशल शिक्षक हैं जो इन लाइफ स्किल्स कोर्स को पढ़ा सकते हैं। इससे लाइफ स्किल्स सिखाने वाले लोगों के लिए नौकरी के अवसर पैदा हो सकते हैं।
(6) लाइफ स्किल्स कोर्स उन छात्रों की मदद कर सकता है जो उद्यमी बनना चाहते हैं। यह उन्हें आवश्यक स्किल्स और ज्ञान प्रदान करता है जो उन्हें अपने व्यवसाय को सफलतापूर्वक शुरू करने और चलाने में मदद करेगा। इससे भारत मे स्टार्ट-उप की संख्या मे उछाल आ सकता है।
छात्रों के लिए लाइफ स्किल्स की पढ़ाई, स्कूल कक्षा 9 से शुरू हो – सफलता के कदमों के करीब, आत्महत्या से बहुत दूर।
भारत के स्कूलों में कक्षा 9 से ही छात्रों को ‘लाइफ स्किल्स कोर्स’ के महत्वपूर्ण हिस्सों की पढ़ाई करानी चाहिए। खासतर से उन्हें “खुद की भावनाओं को समझने की कला” को सिखाना चाहिए। इससे छात्रों को तनाव और नकारात्मक भावनाओं का सही तरीके से सामना करने में मदद मिल सकती है, चाहे वो स्कूल के दौरान हो या प्रतियोगितात्मक परीक्षाओं की तैयारी के समय। साथ ही, छात्रों को यह भी सिखाना चाहिए कि उन्हें दोस्तों के दबाव (जिसे हम ‘पीर प्रेशर’ कहते हैं) का सही तरीके से सामना कैसे करना है। ऐसा करना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि हम लगातार यह देख रहे हैं कि स्कूल या प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं की तैयारी के दौरान तनाव में आकर और नकारात्मक सोच में घिरकर बच्चे आत्महत्या तक कर रहे हैं। हम बच्चो के माता-पिता से भी ये अनुरोध करते है की वो अपने बच्चो को और उनकी क्षमताओं को अच्छी तरह समझने का प्रयास करे। ऐसा कुछ भी न करे जिससे उनके मन-मस्तिष्क मे कोई भी तनाव या नकारात्मक विचार उत्पन्न हो।
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