2023 की 5 नई तकनीकें, जो अभी विकसित हो रही हैं, जिनका प्रभाव हमारे दैनिक जीवन पर अगले 3 से 5 साल में हो सकता है।
(1) फ्लेक्सिबल बैटरी:
आज की बैटरी कठोर और भारी होती हैं। भविष्य में, फ्लेक्सिबल बैटरी आएंगी जो पतली, लचीली और हल्की होंगी। इन्हें मोड़ा, झुकाया और खींचा जा सकेगा। ये नई तकनीकों का आधार बन सकती हैं।
विशेषता | विवरण |
उपयोग | (1) पहनने योग्य चिकित्सा उपकरण (स्मार्ट घड़ियाँ, फिटनेस ट्रैकर्स, बायोमेडिकल सेंसर आदि);
(2) फ्लेक्सिबल डिस्प्ले और स्मार्ट घड़ियाँ (डिस्प्ले जो आपके शरीर के साथ झुक और मुड़ सकते हैं); (3) कपड़ा–आधारित इलेक्ट्रॉनिक्स (जैकेट, शर्ट या अन्य कपड़ों के अंदर फिट किए गए हीटिंग सिस्टम, स्वास्थ्य निगरानी और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए); (4) इलेक्ट्रिक वाहन; और (5) रोबोटिक्स |
लाभ | अधिक कुशल, अधिक टिकाऊ, कम महंगी, और नई तकनीकों के विकास को बढ़ावा देती हैं |
दुनियाभर में बाजार का आकार | 2022-2027 में 240.47 मिलियन डॉलर (1800 करोड़ भारतीय रुपये) |
नौकरी के अवसर
(भारत या विदेशो में) |
इंजीनियरिंग (इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, या मैकेनिकल); विज्ञान (रसायन विज्ञान, भौतिकी, या गणित); मैनेजमेंट; और फाइनेंस में डिग्री वालो के लिए। |
कुछ बड़ी कंपनियां जो इन बैटरियों को बना रही हैं | एलजी केम, सैमसंग एसडीआई, ऐप्पल, नोकिया, फ्रंट एज टेक्नोलॉजीज, एसटी-माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक, ब्लू स्पार्क टेक्नोलॉजीज, और फुलरिवेर बैटरी। यह तकनीक अभी भी विकसित हो रही है, नए खिलाड़ियों के इस बाजार में प्रवेश करने की पूरी संभावना है। |
(2) जेनरेटिव आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (एआई):
जेनरेटिव एआई एक टेक्नोलॉजी है जो खुद से नई और रचनात्मक चीजें बना सकती है, जैसे कि कहानियाँ, चित्र, संगीत, और वीडियो। यह टेक्नोलॉजी मशीनों को सीखने की क्षमता देती है, जैसे कि हम नए चीजें सीखते हैं।
विशेषता | विवरण |
उपयोग | (1) मीडिया और मनोरंजन: नई फिल्में, वीडियो गेम और संगीत बनाने के लिए
(2) डिजाइन: नए उत्पादों और सेवाओं के लिए डिजाइन बनाने के लिए (3) शिक्षा: छात्रों को सीखने में मदद करने के लिए (4) स्वास्थ्य: नई दवाओं और उपचारों को विकसित करने में मदद के लिए (5) औद्योगिक उत्पादन: नए उत्पादों और प्रक्रियाओं को विकसित करने के लिए |
लाभ | नई चीजें बनाने की क्षमता, दक्षता में सुधार, नई संभावनाओं का निर्माण |
दुनियाभर में बाजार का आकार | 2023 में जेनरेटिव एआई बाजार लगभग 44.89 बिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 3,35,000 करोड़ भारतीय रुपये); और 2030 तक बाजार लगभग 207.00 बिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 15,40,000 करोड़ भारतीय रुपये) हो जाएगा। |
भारत में संभावना | भारत दुनिया के शीर्ष 3 सबसे बड़े स्टार्टअप केंद्रों में से एक है। भारतीय सरकार जेनरेटिव एआई के विकास को बढ़ावा दे रही है। सरकार ने भारत में एआई के विकास को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें राष्ट्रीय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मिशन शामिल है। कुल मिलाकर, भारत में जेनरेटिव एआई का बाजार तेजी से बढ़ रहा है और 2030 तक 17 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। |
नौकरी के अवसर
(भारत या विदेशो में) |
जेनरेटिव एआई – इंजीनियर; डेटा वैज्ञानिक; रिसर्चर; प्रोडक्ट मैनेजर; सॉफ्टवेयर इंजीनियर; मशीन लर्निंग इंजीनियर; डेटा इंजीनियर; एप्लीकेशन डेवलपर; एप्लीकेशन डिजाइनर; कंटेंट क्रिएटर; एडिटर; और मार्केटर जैसे पदों पर अवसर। |
सबसे नई एआई तकनीक | एक ऐसे एआई सिस्टम जो खुद से ही महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं या महत्वपूर्ण कार्य कर सकते हैं, जैसे की “ऑटो-जीटीपी“ |
(3) सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (एसएएफ):
विमान उड़ान भरने के लिए जो ईंधन इस्तेमाल करते हैं, वह ग्लोबल वार्मिंग के लिए ज़िम्मेदार कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) गैस छोड़ते हैं। दुनिया के CO2 उत्सर्जन (बाहर निकालना) में विमानन का 2-3% हिस्सा है। अगले 30 सालों में, विमानों से होने वाला CO2 उत्सर्जन 39 गीगाटन तक पहुंच सकता है। इलेक्ट्रिक कारों और बसों की तरह, इलेक्ट्रिक हवाई जहाज बनाना मुश्किल है क्योंकि उन्हें लंबी दूरी तक उड़ने के लिए बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
एसएएफ एक नया प्रकार का ईंधन है जिसका उपयोग विमानों को उड़ाने के लिए किया जा सकता है। इसे मौजूदा विमानों में पारंपरिक ईंधन के साथ मिलाकर उपयोग किया जा सकता है, और इसके लिए बुनियादी ढांचे या उपकरणों में बड़े पैमाने पर बदलाव की आवश्यकता नहीं होती। एसएएफ का उपयोग करके विमानों से निकलने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिल सकती है, जिससे प्रदूषण को कम करने में मदद मिल सकती है।
आज, एसएएफ की मांग बहुत कम है, केवल 1% से भी कम। लेकिन 2040 तक हमें इसे 13-15% तक बढ़ाना होगा ताकि विमान उद्योग को 2050 तक पूरी तरह से पृथ्वी के लिए हानिकारक कार्बन उत्सर्जन से मुक्त कर सकें। इसके लिए 300-400 नए एसएएफ प्लांट बनाने की आवश्यकता होगी। एयरलाइंस, विमान निर्माता, और ईंधन कंपनियाँ इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए कठिन प्रयास कर रही हैं। इससे कई रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
जैविक ईंधन से एसएएफ बनाने की प्रक्रिया में लगातार वृद्धि हो रही है। अंतर्राष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ के अनुसार, 2022 में एसएएफ का उत्पादन कम से कम 300 मिलियन लीटर था, जो 2021 में उत्पादित मात्रा से लगभग तीन गुना अधिक है। अधिक से अधिक एयरलाइंस एसएएफ का उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
भारत को 2025 तक जेट ईंधन में 1% एसएएफ मिलाने के लिए हर साल 14 करोड़ लीटर एसएएफ की आवश्यकता होगी।
एसएएफ के कारण भारत में निम्नलिखित प्रकार की नई नौकरियां होंगी:
किसान: किसान ऐसी फसलें उगा सकेंगे जिनसे एसएएफ बनाया जा सके, जैसे जट्रोफा, गन्ना और मिसकैंथस।
कचरा संग्रहकर्ता: कचरा संग्रहकर्ता घरों और दुकानों से निकलने वाले कचरे और खेतों से निकलने वाले कचरे को इकट्ठा कर सकेंगे, जिनका इस्तेमाल एसएएफ बनाने के लिए किया जा सकेगा।
बायोरेफाइनरी में काम करने वाले लोग: बायोरेफाइनरी में काम करने वाले लोग ऐसे कारखाने चला सकेंगे और उनकी देखभाल कर सकेंगे जो फसलों और कचरे को एसएएफ में बदलते हैं।
एसएएफ रिफाइनरी इंजीनियर और तकनीशियन: एसएएफ रिफाइनरी इंजीनियर और तकनीशियन ऐसी फैक्टरियां डिजाइन, बना और चला सकेंगे जो एसएएफ बनाती हैं।
हवाई जहाजों में ईंधन भरने वाले लोग: हवाई जहाजों में ईंधन भरने वाले लोग हवाईअड्डों पर एसएएफ को पारंपरिक जेट ईंधन के साथ मिला सकेंगे।
हवाई जहाजों के रखरखाव के लिए काम करने वाले लोग: हवाई जहाजों के रखरखाव के लिए काम करने वाले लोग एसएएफ से चलने वाले हवाई जहाजों की देखभाल कर सकेंगे।
(4) डिज़ाइनर फेज:
हमारे शरीर में लाखों तरह के सूक्ष्मजीव रहते हैं, जिन्हें माइक्रोबायोम कहा जाता है। ये सूक्ष्मजीव हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। वे हमारे भोजन को पचाने, भोजन से पोषक तत्वों को लेने, और हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करते हैं।
हाल के अध्ययनों में पाया गया है कि माइक्रोबायोम को इंजीनियर किया जा सकता है। इसका मतलब है कि हम सूक्ष्मजीवों के कार्यों को बदल सकते हैं ताकि वे हमारे लिए और भी फायदेमंद हों। इस इंजीनियरिंग में फेज का उपयोग किया जाता है।
फेज एक तरह का वायरस है जो बैक्टीरिया को संक्रमित करता है। फेज के पास एक “प्रोग्राम” होता है जो इसे बताता है कि उसे कैसे काम करना है। यह प्रोग्राम फेज के आनुवंशिकी सूचना (जीन सूचना) में होता है। जब फेज कुछ विशेष प्रकार के बैक्टीरिया को संक्रमित करता है, तो वह अपना आनुवंशिकी सूचना जीवाणु में इंजेक्ट करता हैं।
जीवविज्ञान तकनीकों का उपयोग करके, वैज्ञानिक फेज के आनुवंशिकी सूचना को बदल सकते हैं। इसका मतलब है कि वे फेज को एक नए कार्य करने के लिए प्रोग्राम कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, वैज्ञानिक फेज को एक ऐसे कार्य को करने के लिए प्रोग्राम कर सकते हैं जो हानिकारक बैक्टीरिया को मारता है। इस तरह, फेज को एक एंटीबायोटिक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
बायोइंजीनियर फेज का उपयोग करके, वैज्ञानिक निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं:
(a) हानिकारक बैक्टीरिया को मारना
(b) लाभकारी बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा देना
(c) बैक्टीरिया को दवाओं के प्रति संवेदनशील बनाना
(d) बैक्टीरिया को चिकित्सीय अणुओं का उत्पादन करने के लिए प्रेरित करना
बायोइंजीनियर फेज अभी भी विकास के प्रारंभिक चरण में हैं, लेकिन उनमें मानव स्वास्थ्य और कृषि उत्पादकता में सुधार करने की बहुत बड़ी क्षमता है। डिजाइनर फेज बैक्टीरिया से जुड़ी बीमारियों जैसे कि हेमोलिटिक यूरिमिक सिंड्रोम के इलाज में मददगार हो सकते हैं। यह एक दुर्लभ लेकिन गंभीर बीमारी है जो किडनी और रक्त के थक्के जमने की क्षमता को प्रभावित करती है।
भारत में डिजाइनर फेज रिसर्च अभी भी शुरूआती दौर में है, लेकिन इस पर कई काम चल रहे हैं।
(5) एआई-फसिलिटेट हेल्थ्केर:
कोविद-19 महामारी ने दिखाया कि दुनिया भर में स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियां कितनी कमजोर हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए, सरकारें और विश्वविद्यालय एआई और मशीन लर्निंग जैसी नई तकनीकों का उपयोग करके स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहे हैं। इन प्रयासों का लक्ष्य महामारियों का पहले से अनुमान लगाना और उन्हें रोकने में मदद करना है, साथ ही उनका इलाज भी बेहतर करना है। ये प्रयास अभी शुरुआती चरण में हैं, लेकिन डेटा को ऐआइ और मशीन लर्निंग मॉडल में एकीकृत करके, वे तेजी से सुधार कर सकते हैं।
एआई-आधारित स्वास्थ्य सेवा विकसित देशों में और भी अधिक मददगार हो सकती है, क्योंकि उनके पास अक्सर अपनी अधिकांश आबादी को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए पर्याप्त डॉक्टर और अस्पताल नहीं होते हैं। एआई-आधारित उपकरण डॉक्टरों को बीमारियों की पहचान करने, उनकी निगरानी करने, और उनका इलाज करने में मदद कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, एआई-आधारित उपकरण एक्स-रे और एमआरआई जैसी इमेजिंग टेस्ट के परिणामों को पढ़ने में डॉक्टरों की मदद कर सकते हैं।
भारत एक ऐसा देश है जो एआई-आधारित स्वास्थ्य सेवा का उपयोग अपनी आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए कर रहा है। भारत सरकार ने डॉक्टरों को दूरस्थ समुदायों से जुड़ने के लिए ऐआइ-आधारित उपकरणों का उपयोग करने की अनुमति दी है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भी डॉक्टरों से सलाह मिल सकेगी।
एआई–फसिलिटेटेड हेल्थकेयर में भारत में नौकरियों की संभावना:
एआई-फसिलिटेटेड हेल्थकेयर एक तेजी से बढ़ता हुआ क्षेत्र है, और भारत में इस क्षेत्र में नौकरियों की संभावना बहुत अधिक है। एआई के उपयोग से स्वास्थ्य सेवा में कई तरह के सुधार किए जा सकते हैं, जैसे कि:
निदान: एआई का उपयोग रोगों का निदान करने के लिए किया जा सकता है, जो डॉक्टरों के लिए अधिक सटीक और समय पर निदान करने में मदद कर सकता है।
दवा: एआई का उपयोग नई दवाओं और उपचारों के विकास में मदद कर सकता है।
चिकित्सा देखभाल: एआई का उपयोग रोगियों की देखभाल में मदद करने के लिए किया जा सकता है, जैसे कि उन्हें घर पर निगरानी करना या उनकी दवाओं को अनुकूलित करना।
स्रोत: वर्ल्ड इकनोमिक फोरम रिपोर्ट 2023
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